विश कन्या और उसका अधुरा बदला: भारत की सबसे रहस्यमयी विश कन्या

विश कन्या और उसका अधुरा बदला
गहरे जंगलों के बीच बसा एक प्राचीन गाँव, जहाँ अंधविश्वास और रहस्यमयी घटनाएँ आम बात थीं। गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि यहाँ कभी विश कन्याएँ रहा करती थीं—ऐसी लड़कियाँ, जिन्हें बचपन से ही ज़हर दिया जाता था, ताकि वे बड़ी होकर किसी को भी अपने स्पर्श से मौत के घाट उतार सकें।
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Chapter 1: – भूली हुई कहानी
रात के अंधेरे में अक्सर लोगों को जंगल की तरफ़ से किसी के रोने की आवाज़ें आती थीं। गाँव वालों का मानना था कि यह किसी विश कन्या की आत्मा है, जो अब भी बदला लेने के लिए भटक रही है। लेकिन नई पीढ़ी इसे बस एक कहानी समझती थी—जब तक कि राघव गाँव नहीं आया।
Chapter 2: – राघव का मौत से सामना
राघव एक युवा पत्रकार था, जो अंधविश्वासों की सच्चाई जानने के लिए गाँव आया था। उसने गाँव के लोगों से बात की, पर वे डर के मारे ज़्यादा कुछ नहीं बताते। बस इतना कहा—”रात को जंगल की ओर मत जाना। वहाँ अब भी मौत भटकती है।”
राघव को इन बातों पर विश्वास नहीं था। उसने एक रात अपने कैमरे के साथ जंगल जाने का फैसला किया। घना अंधेरा, ठंडी हवा और हर ओर सन्नाटा। अचानक उसे सफ़ेद साड़ी पहने एक लड़की दिखी। उसका चेहरा अजीब तरह से धुंधला था, और उसकी आँखें चमक रही थीं।
“तुम कौन हो?” राघव ने हिम्मत जुटाकर पूछा।
लड़की धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ी और बोली, “तुम यहाँ क्यों आए हो? क्या तुम्हें मौत का शौक़ है?”

Chapter 3: – अंधेरे का राज़
राघव पीछे हटने ही वाला था कि लड़की ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसके शरीर में एक अजीब-सी जलन महसूस हुई। अचानक उसके कैमरे की स्क्रीन फट गई, और उसे चक्कर आने लगे। आँखें बंद होते ही उसे एक पुरानी घटना दिखने लगी—
एक राजा ने अपने दुश्मन को मारने के लिए एक लड़की को बचपन से ज़हर पिलाकर पाला था। लेकिन वह लड़की इस श्रापित जीवन से मुक्त होना चाहती थी। जब उसने राजा से आज़ादी मांगी, तो उसे बेरहमी से मार दिया गया। उसकी आत्मा अब भी उस जंगल में भटक रही थी।
राघव की आँखें खुलीं तो वह ज़मीन पर पड़ा था। जंगल में कोई नहीं था, लेकिन उसकी कलाई पर जलने के निशान थे—ठीक वहीं, जहाँ लड़की ने उसे छुआ था।
डर से काँपता हुआ वह किसी तरह गाँव लौटा, पर उसकी हालत बिगड़ने लगी। शरीर नीला पड़ रहा था, जैसे किसी ज़हरीले साँप ने काट लिया हो। गाँव के बुजुर्गों ने बताया, “तुमने विश कन्या की आत्मा को परेशान किया। अब तुम्हारा बचना मुश्किल है।”

Chapter 4: – अंतहीन श्राप
राघव की हालत बिगड़ती गई, और कुछ ही दिनों में वह मर गया। गाँव वालों ने उसके शव को जंगल के पास दफ़ना दिया, और तब से वहाँ जाने की हिम्मत किसी ने नहीं की।
रात के समय अब भी वहाँ किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है। कुछ कहते हैं, वह आत्मा अब भी अपने अगले शिकार की तलाश में है